kanchan singla

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ओ मोरे कान्हा

मटकी फोड़ दई तूने ओ मोरे कान्हा
मैया भई नाराज तोसे ओ मोरे कान्हा ।।

दूध, दही, माखन सब जमीन पर गिरा दिया तूने 
चाटत चाटत उंगली सब भर लई माखन से
खुद खाया और साथी सखो में बांट लिया
गोपियां सब भई नाराज़ तोसे ओ मोरे कान्हा ।।

सखा संग खेले, खेल अनोखे
खेलत खेलत गेंद गई कालीदह में 
सखा गए सब रूठ तोसे ओ मोरे कान्हा ।।

गई पनघट पर गोपियां पनिया भरन को
आधे रास्ते में मार कंकड़ दई मटकी फोड़
सब पानी कर दिया बर्बाद 
अब गोपियां भई नाराज़ तोसे ओ मोरे कान्हा ।।

शिकायत करन को गई यसोदा मैया के द्वार
सुन तेरी शरारत मैया भई नाराज़ तोसे ओ मोरे कान्हा 
बांध दिया रस्सी से खंबे पर, सब रस्सी पड़ गई छोटी 
मैया गई अब हार तोसे ओ मोरे कान्हा ।।

लेखनी प्रतियोगिता_22-Jul-2022
# कॉपीराइट_लेखिका - कंचन सिंगला©®


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12 Comments

Khan

25-Jul-2022 09:48 PM

😊😊

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Seema Priyadarshini sahay

24-Jul-2022 04:12 PM

बहुत खूबसूरत

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Saba Rahman

23-Jul-2022 11:30 PM

Nice

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